क्या कसूर था उस नवविवाहित का जो आज जेल में है ......

ये है ख़ुशी दुबे के माता पिता...पिता पेंटर हैं और 400 रुपये प्रतिदिन कमाते है...

400 रूपया कमाने वाला क्या ले- देके बेटी का ब्याह करता वो तो वही जानता है या ईश्वर ही जाने,
मजबूरन उन्हें विकास दूबे से गुहार लगानी पड़ी और विकास जैसे दूर्दांत ने भी सहृदयता दिखाते हुए अपने गुर्गे अमर से इस गरीब कन्या का विवाह करवा दिया और उसका सारा खर्च खुद वहन किया।

विकास और अमर अपराधी थे, उन्हें मारना कोई अपराध नहीं लेकिन आप दूसरे घटनाक्रम पर ध्यान दें, 29 जून को खुशी और अमर का विवाह हुआ, 30 जून को विदाई हुई।
और 2 जुलाई को कानपुर कांड हुआ, उसके बाद 3 जुलाई को पुलिस खुशी दूबे को गिरफ्तार करके ले गयी और तबसे वो नवविवाहिता जेल में ही है।

अब आप स्वयं से पूँछिये कि क्या ये न्याय है??

खुशी दुबे के माता पिता का बयान !!!

"हम इतनी हिम्मत नहीं रखते कि अपनी बेटी को देखने तक जेल तक चले जाएं। हमें डर है कि बेगुनाह बेटी को जब पुलिस वालों ने आरोपी बनाकर जेल भेज दिया तो कहीं हमें भी जेल ना भेज दे क्योंकि बेटी को जन्म तो हम ही ने दिया था"

ये पुलिसिया प्रताड़ना केवल खुशी दूबे के साथ पहली बार नहीं हो रही अपितु न जाने कितने ऐसे परिवारीजन हैं जो किसी अपराधी के परिवार का होने मात्र से आजन्म झेलते हैं। 

अब आप ही बताइये कि इस लड़की का क्या अपराध है??

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