कानपुर
किसी ने खूब ही कहा है कि शौक़ बड़ी चीज होती है और वो भी ऐसा शौक़ की जो तीन पीढ़ी से चला आ रहा है दादा का शौक़ अब पोते आकिब खान सहाब मुसलिम समाज मे बकरीद के मौके पर क़ुरबानी देने की प्रथा चली आ राही है जिसके चलते कुछ लोग बकरे पाल के कुर्बानी करते है लेकिन कानपुर के बेकनगंज के रहने वाले मरहूम हाजी अब्दुल समद खान को एक नायब शौक जगा खान साहब ने नायाब नायाब किस्म के बकरे पूरे भारत लाकर उनको पालकर उनकी कुर्बानी करना अब अब दादा के शौक को पोते आकिब खान सहाब भी बखूबी निभा रहे है इसके लिए बाकायदा बकरो के जानकर व उस्ताद मुर्तुजा मध्यप्रदेश से देख रेख के लिए रखा है मुर्तुजा पूरे भारत मे उस्ताद के नाम से जाने जाते है उस्ताद बकरे की एक से बाढ़ के एक नस्ल जिसमे गुजारी अजमेरा तोता पारी मालवी कानपुर के बर्बर बकरे है आप को ये जानकर हैरानी होगी कि एक बकरे की दिन की खुराक तकरीबन 300 आती ऐसे ही 40 बकरे है जिनकी कीमत कुर्बानी के टाईम लाखो में होती है और वजन 150 से 200 किलो तक जो भी बकरो को देखता है वो देखता ही राह जाता है।
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