एक आमना का लाल एक फातिमा का लाल नाना भी बेमिसाल नवासा भी बेमिसाल।

कानपुर 
मोहर्रम की नौ तारीख को पंजतन पाक पेशकर खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह कर्नलगंज, ऊँची सड़क में हर साल की तरह इस साल भी खानकाहे हुसैनी में दरगाह पर गुलपोशी सलातो सलाम के बाद दुआ हुई। पंजतन पाक की गुलपोशी के बाद  खानकाहे हुसैनी के बाहर खानकाहे हुसैनी के साहिबे सज्जादा व मोहम्मदी यूथ ग्रुप के अध्यक्ष इखलाक अहमद डेविड चिश्ती पंजतन पाक को लेकर आए सोशल डिस्टेसिंग व शासन प्रशासन की गाइडलाइंस का पालन करते हुए हुसैन के चाहने वाले पंजतन पाक पर फूल इत्र पेशकर नारे हक हुसैन, मौला हुसैन, नारे हैदरी या अली या अली दीन की पनाह हुसैन है मेरा बादशाह हुसैन है की नारों की सदाओं से पूरा इलाका गूँजने लगा। उसके बाद आठवां ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला हुआ उसकी शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ अतीक खान ने की उसके बाद नात व मनकबत हुई जिसमें एक आमना का लाल, एक फातिमा का लाल नाना भी बेमिसाल नवासा भी बेमिसाल।
दुआ में खानकाहे हुसैनी के साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने अल्लाह से अपने हबीब, मौला अली, हसनैन के सदके में हमारे मुल्क सूबे शहर में अमनों अमन कायम व खुशहाली तरक्की देने, कोरोना वायरस से निजात देने, गुनाहों की माफी, कुदरत के कहर से बचाने, मस्जिदों में जमात के साथ नमाज़ अदा करने, दहशतगर्द का खात्मा करने, फिरकापरस्त ताकतों को नेस्तनाबूद करने की दुआ की सलातो सलाम पेशकर पंजतन खानकाहे हुसैनी मे नसब किया गया। 
खानकाहे हुसैनी मे इखलाक अहमद डेविड चिश्ती हुसैनी, हाजी गौस रब्बानी, मोहम्मद हफीज़, मोहम्मद जावेद, अबरार अहमद वारसी, परवेज़ अहमद सिद्दीकी, एजाज़ रशीद, मोहम्मद ताशिफ खान, नईमुद्दीन फारुकी, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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