कानपुर
कुर्बानी के लिये बकरों की खरीदारी की जा चुकी है लेकिन कानपुर मे बकरीद के मौके पर बकरों की कुर्बानी के लिये उनको पालने वाला एक ऐसा दिवाना है जिसका नाम इश्तियाक अहमद है उसका कुछ अंदाज ही अलग है । दरअसल इश्तियाक के खानदान मे उसके बाबा के जमाने से कुर्बानी के लिये बकरा पालने का रिवाज है जिसके लिये बकरा खरीद कर पूरे साल भर उसे कुछ अलग अंदाज मे उनकी देख रेख कि जाती है जहां बकरों के लिये अलग से एक मकान बनाया गया है उनकी देखभाल के लिये चार नौकर रखे गये है और उन्हे खाने मे चारे के अलावा मेवा काजू ,बदाम ,किस्मिस व दूध भी दीया जाता है मौजूदा साल भी इस्तियाक कुर्बानी के लिये बकरे लाये हैं जिन्हे साल भर उनकी देख रेख की और उन्हे पाला और उन्हे बकरीद के दिन कुर्बान किया जायेगा।।
पिछले साल इश्तियाक जो बकरा लाए थे उसका नाम तूफान रखा था वह 84 किलो का था मगर इस वक्त उसका वजन 154 किलो है उनका कहना है की तूफान को दूध और आम बहुत पसंद है दिल्ली डेढ़ से दो किलो दूध पीता है अबकी उसकी कुर्बानी होगी
इश्तियाक को अपने बकरों से खासा लगाव भी देखने को मिलता है । इन बकरों मे दीगर किस्म व नसलों के बकरे है जिनका वजह 150 किलो से कम नहीं है जिसमे सबसे बडा बकरा तकरीबन 154 किलो का बकरा है इन बकरों को देखने के लिये शहर के दीगर इलाकों से लोग इश्तियाक के घर पहुंचते है ।
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