एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन, आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का

कानपुर  
खानकाहे हुसैनी में नज़र पंजतन पाक व बारह इमाम, नात-मनकबत दुआ का प्रोग्राम हुआ।
ज़ोहर की नमाज़ के बाद खानकाहे हुसैनी में पंजतन पाक-ज़री मुबारक की ज़ियारत कर हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह का गुस्ल संदल, इत्र केवड़ा से कर गुलपोशी की गयी। प्रोग्राम की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ कफील हुसैन खान ने की नात-मनकबत में यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का, एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का।
इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने नज़र पंजतन पाक व बारह इमाम करने के बाद दुआ की ऐ अल्लाह रसूलल्लाह, पंजतन पाक-बारह इमामों के सदके हमारे मुल्क में फैली जानलेवा वबा से निजात दिला, वबा से बीमारों को शिफा-सेहत दे, मुल्क में अमनों-अमान कायम रहने, मुल्क दहशतगर्द का खात्मा करने, हम सबको बुराइयों से बचाने, नमाज़ की पाबंदी करने, बेटो-बेटियों को इल्म दिलाने की दुआ की।
नज़र व दुआ में इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, हाफिज़ मोहम्मद कफील, बब्लू खान, एजाज़ अहमद, आफताब अहमद, मोहम्मद मोहसिन, ज़ुबैर इदरीसी, शाहिद चिश्ती, हाजी मोहम्मद शाबान, मोहम्मद हफीज़, परवेज़ आलम, शाह आलम, मोहम्मद ताशिफ, शमशुद्दीन फारुकी, मोहम्मद जावेद, एजाज़ रशीद, मोहम्मद शाबान, लारैब रब्बानी, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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