पोषण वाटिका लगाकर पोषण अभियान का किया समापन

कानपुर
पोषण अभियान को राष्ट्रीय पोषण मिशन भी कहा जाता है जो बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने के लिए भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिस क्रम में आज चाइल्डलाइन कानपुर ने बाबूपुरवा कालोनी किदवई नगर कानपुर में पोषण अभियान के अंर्तगत पोषण वाटिका लगाकर पोषण अभियान का समापन किया जिसका प्रमुख उददेश्य किचेन गार्डेन को प्रोत्साहित करना है। 

कार्य्रकम का आरम्भ सर्वप्रथम मुख्य अतिथि सीडी0पी0ओ0 इन्चार्ज श्रीमती गायत्री जी का पटका पहनाकर स्वागत करके किया गया। 
चाइल्डलाइन कानपुर के समन्वयक प्रतीक धवन ने बताया कि फल और सब्जियां सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं और उनका नियमित सेेवन अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण के लिए आवश्यक है। सितंबर को भारत के अधिकांश हिस्सों में सब्जियां और फल उगाने के लिए एक आदर्श मौसम है। 
चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक कमलकान्त तिवारी ने बताया कि आयरन युक्त सब्जियों और फलों के नियमित और उचित सेवन से एनीमिया को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, खट्टे फल, हल्दी, अदरक और इस तरह के अन्य स्थानीय स्तर पर उगाए गए उत्पादों की खपत प्रतिरक्षा को बढ़ाने के साथ वायरल संक्रमण और बीमारियों को रोकने में मदद कर सकती है। 
साथ ही उन्होने बताया कि पौष्टिक, मौसमी और स्थानीय पौधों / पेड़ों जैसे मोरिंगा, बैंगन, हरी पत्तेदार सब्जियों (साग) और केले, पपीता, टमाटर, नींबू, अमरूद, बीन्स, गाजर, चुकंदर, और सब्जियों की विभिन्न किस्मों के पौधों का रोपण इस माह में किया जाना चाहिए जिससे भारत सरकार के र्पोषण अभियान को सफल बनाया जा सके। 
सी0डी0पी0ओ0 की इंचार्ज श्रीमती गायत्री जी द्वारा कुपोषण और भुखमरी में अंतर समझाते हुए बताया कि कुपोषण कई रूपों में आता है। सीधे शब्दों में कहें ंतो इसका मतलब है खराब पोषण। जिसमें पहला है अल्पपोषण जिसमें जब किसी व्यक्ति को खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है, जिस से वो कमजोर हो जाते हैं (इसे तीव्र कुपोषण भी कहा जाता है, जब कोई व्यक्ति अपनी ऊँचाई के हिसाब से बहुत पतला होता है) और / या (यह भी क्रोनिक कुपोषण कहा जाता है) जब कोई अपनी आयु के हिसाब से बहुत छोटा है)। अल्प पोषण से डायरिया, खसरा, मलेरिया और निमोनिया जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, और क्रोनिक कुपोषण एक छोटे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित कर सकता है।
साथ ही उन्होने बताया कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी तब होती है जब किसी व्यक्ति को अपने आहार में पर्याप्त महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज नहीं मिलते हैं। सूक्ष्म पोषकतत्वों की कमी से स्वास्थ्य और विकास खराब हो सकता है, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में। जिसके साथ ही भुखमरी भोजन की गंभीर कमी है जिसके परिणाम स्वरूप मृत्यु हो सकती है।
कार्य्रकम के अंत में मुख्य अतिथि सीडी0पी0ओ0 इन्चार्ज श्रीमती गायत्री जी को संस्था की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट स्वरूप प्रदान किया गया ।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुख्य अतिथि सी0डी0पी0ओ0 इंचार्ज श्रीमती गायत्री जी, चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक कमलकान्त तिवारी समन्वयक प्रतीक धवन, काउंसलर मंजुला तिवारी, आलोक चन्द्र वाजपेयी, शिव कुमार, जय सिंह, दीक्षा तिवारी, शिवानी सोनवानी, रेलवे चाइल्डलाइन के समन्वयक गौरव सचान, मंजु लता दुबे, संगीता सचान, रीता सचान सहित 20 से अधिक लोग उपस्थित रहे।

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