स्वर और ताल से सजी संगीत की महफ़िल ।

कानपुर।
रंजना देवी संगीत महाविद्यालय /ध्रुपद केंद्र कानपुर एवं कथक केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में शास्त्रीय संगीत की महफ़िल का सुमधुर आयोजम दिनांक 15 जुलाई 2022 को हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ पंडित विनोद कुमार द्विवेदी (प्रख्यात ध्रुपद गायक एवं संस्कार भारती कानपुर बुंदेलखंड प्रांत अध्यक्ष ) तथा डॉक्टर संगीता श्रीवास्तव (प्रफ़ेसर डी जी कॉलेज कानपुर ) ने द्वीप प्रज्वलन करके किया । तत्पश्चात ध्रुपद केंद्र के वरिष्ठ विद्यार्थी श्री आशुतोष पांडेय एवं श्री चेतन गुप्ता ने मनमोहक ध्रुपद गायन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया । युगल गायन ने सर्वप्रथम राग वागेश्री में चारों खंडो की अलाप एवं अपने गुरु पंडित विनोद कुमार द्विवेदी की सूल ताल की रचना “माता वागेश्री सरस्वती शारदा “ प्रस्तुत किया । 
वास्तव में इन दोनो की ठहराव दार गायकी देखकर ऐसा विश्वास जगा है की कानपुर में ध्रुपद गायकी की साधना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्ण सफल होरही है तथा ध्रुपद गायन के क्षेत्र में ध्रुपद केंद्र कानपुर से बहुत सारी एसी प्रतिभाएँ बढ़ रही है तथा देश विदेश में यश अर्जित कर रहें है । 

कार्यक्रम दूसरी एवं अंतिम प्रस्तुति के लिए प्रयागराज तबला घराना के संस्थापक पंडित अनूप बनर्जी का आगमन प्रयागराज से हुआ। इस कार्यक्रम में प्रयागराज तबला घराने की विशिष्ट लयकारियों के क्रमबद्ध प्रस्तुति के माध्यम से तालों की सौंदर्यता में वृद्धि को सिद्ध किये जाने की सराहना उपस्थित सभी गणमान्य गुणीजनो और छात्र - छात्राओं द्वारा किया जाना अत्यन्त हर्ष का विषय था । इस कार्यक्रम में तीनताल के प्रथम कायदे धाधातेटे धाधातूना को ठाह से अठगुन तक की क्रमबद्घ लयकारियों में प्रस्तुति के साथ साथ एक और अत्यन्त प्रचलित कायदा "धातीधागे नाधा तिरकिट" की अदभुत प्रस्तुति आड कुआड और बिआड की लयकारियों में किया गया। प्रो0 डा0 संगीता श्रीवास्तव के अनुरोध पर कुछ फ़रमाइशी एवं कमाली चक्करदार बंदिशो का उल्लेख करते हुए एक नवीन बंदिश/रचना "दुगुन की फ़रमाइशी चक्करदार" की प्रस्तुति पं0अनूप बनर्जी द्वारा की गयीं । प्रख्यात गायक एवं उ0प्र0संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा पुरस्कृत पं0 विनोद द्विवेदी के द्वारा पं0अनूप बनर्जी के इन नवीन कार्यो की भूरि भूरि प्रंशसा किया की। वास्तव में तबले पर जो अप्रचलित एवं बहुत ही कठिन लयकारियों का कार्य पंडित बनर्जी द्वारा किया गया वह अतुलनीय है एवं उनके उत्कृष्ट क्रियात्मक शैली को दर्शाता है । कार्यक्रम का सफल संयोजन एवं संचालन युवा ध्रुपद गायक श्री आयुष द्विवेदी ने किया एवं कार्यक्रम में संगतकर के रूप में श्री मुकेश द्विवेदी (पखावज) एवं श्री राजकुमार हवेले ( हार्मोनीयम) पर रहे । कार्यक्रम के अंत में पंडित विनोद कुमार द्विवेदी एवं प्रो0 डा0 संगीता श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम में श्रीमती रंजना द्विवेदी (प्रधानाचार्या रंजना देवी संगीत महाविद्यालय), श्रीमती राजेश्वरी डोंदियाल ( प्रधानाचार्या नानु भैया संगीत महाविद्यालय ) , डॉक्टर अरविंद श्रीवास्तव ( प्रख्यात तबला वादक ) , श्री कैलाश अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार ) आदि सुधी श्रोताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

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