खानकाहे हुसैनी में मनकुंतों मौला अली अली की सदाएं गूंजी।

कानपुर
मोहम्मदी यूथ ग्रुप के ज़ेरे एहतिमाम जशन ए ताजे विलायत मौला अली खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह मे सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए अकीदत एहतिराम व सादगी के साथ मनाया गया।
ज़ोहर की नमाज़ के बाद जशन ए ताजे विलायत मौला अली का आगाज़ हाफिज़ मोहम्मद मुशीर ने कुरान पाक की तिलावत से शुरु किया। शोरा ए कराम ने नात मनकबत पढ़ी "मुनाफिक और मोमिन में अगर पहचान करनी हो लगाओ मिलकर सब नारा अली मौला अली मौला, पुकारु मैं अली मौला, तुझे क्यों दर्द उठता है नबी ने खुद पुकारा है अली मौला अली मौला" नात मनकबत सुनकर सभी सुबहान अल्लाह सुबहान अल्लाह नारे हैदरी या अली या अली की सदाएं बुलंद हुई।
जशने ताजे विलायत को खिताब करते हुए उलेमा ए दीन ने कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम, हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) जब हिज्जातुल विदा से वापस मदीने शरीफ जा रहे थे तो रास्ते मे एक मुकाम आया जिसे गदीर ए खुम कहा जाता है हुज़ूर ने अपने सहाबियों से पड़ाव डालने का हुक्म फरमाया ज़ोहर की नमाज़ के बाद रसूले खुदा ने खिताब फरमाया व हज़रत अली का हाथ उठाकर कहा जिस जिस का मै मौला उनका अली मौला यह बात लगभग सवा लाख सहाबियों की मौजूदगी मे हुज़ूर ने कही। उसी दिन पर कुरानपाक की आयत नाज़िल हुई जिसमें आज के दिन को अफज़ल बताते हुए कहा आज के दिन तुम लोगो पर तुम्हारा दीन कामिल कर दिया और तुम पर अपनी तमाम नियामतें तमाम कर दी। उलेमा ए दीन ने ईदे गदीर ए खुम की पूरे आलम के मुसलमानों को मुबारकबाद दी।  
खानकाहे हुसैनी के सज्जादानशीन एवं मोहम्मदी यूथ ग्रुप के अध्यक्ष इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने कहा कि हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) फरमाते है खुदा मेरा मौला है, मै हर मोमीन का मौला हूँ मनकुंतो मौला जिसका मै मौला हूँ उसका अली मौला है। 
हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की मज़ार पर इत्र संदल, गुलपोशी कर नज़र- सलातों सलाम पेशकर दुआ हुई दुआ में अल्लाह से अपने हबीब, मौला अली के सदके मे हम सबकों अहले बैत से मोहब्बत करने, नमाज़ की पाबंदी करने, कोराना से निजात देने, केरल विमान हादसे में मरने वालों के घरवालों को सब्र देने, हादसे में घायलों को जल्द सेहत देने, मुल्क में बाढ़ से बेसहारा लोगो की गैब से मदद करने, मुल्क सूबे व शहर मे खुशहाली तरक्की देने की दुआ की। खानकाहे हुसैनी में नारे बुलंद कर मनकुंतों मौला अली-अली की सदाएं गूँजी।
जशन ताजे विलायत मे खानकाहे हुसैनी के सज्जादानशीन एवं मोहम्मदी यूथ ग्रुप के अध्यक्ष इखलाक अहमद डेविड चिश्ती,  मोहम्मद मोगीसुद्दीन नियाज़ी, परवेज़ आलम वारसी, हाफिज़ मोहम्मद मुशीर, हाफिज़ मोहम्मद शकील, हाफिज़ माज़ हसन सलामी, हाफिज़ हसीब अहमद, हाफिज़ मोहम्मद कफील हुसैन, हाजी मोहम्मद शाबान, हाफिज़ मोहम्मद रेहान, मोहम्मद हफीज़, एजाज़ रशीद, मोहम्मद इस्लाम चिश्ती, आफताब वारसी, शादाब अहमद, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।

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