कानपुर
संयुक्त विपक्षी मोर्चा के तत्वाधान में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रफी अहमद किदवई की 127 वीं जयंती पर जन्मदिन के पूर्व विचार गोष्ठी एवं परिचर्चा एसएसपी कार्यालय के बगल में कुलदीप सक्सेना के निवास स्थान पर आयोजित हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता आरएलडी नगर अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान ने की संचालन प्रदीप यादव ने किया। आरएलडी नगर अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान ने बताया कि रफी अहमद किदवई का जन्म 18 फरवरी 1894 में जिला बाराबंकी के मसौली गांव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और वही से बीए ऑनर्स व एलएलबी की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन के दौरान उन्होंने 1920 में खिलाफत आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और दर्जनों बार अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते हुए जेल गए। मुख्य अतिथि के रूप में चर्चा करते हुए सोशलिस्ट फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव ओंकार सिंह ने कहा कि रफी अहमद किदवई, पंडित मोतीलाल नेहरू के सहायक के रूप में कार्य किया। उत्तर प्रदेश के मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। उत्तर प्रदेश में जमींदार प्रथा को समाप्त कराने में अहम भूमिका निभाई। 1952 में बहराइच लोकसभा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्र में खाद्य एवं कृषि मंत्री बनाए गए। कालाबाजारी जमाखोरी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए और जनता को कालाबाजारी जमाखोरी से मुक्ति दिलाई। सादा जीवन उच्च विचार के पालन करने वाले लोगों में थे। और गरीब को न्याय दिलाने के सदैव पक्षधर रहे। हम सब को संकल्प लेना चाहिए कि रफी अहमद किदवई के विचारों पर चलकर आपसी सदभाव गरीबों को इंसाफ एवं अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। यही उनके प्रति समर्पण होगा। गोष्ठी में मुख्य रूप से मो सुलेमान, कुलदीप सक्सेना, आरएलडी नगर अध्यक्ष मोहम्मद उस्मान, प्रदीप यादव, शाकिर अली उस्मानी, आशीष चौबे मोहम्मद इमरान, हामिद हुसैन रामराज भारती, इस्लाम खान राकेश मिश्रा, लखन सिंह, आरके सिंह आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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