तिरस्कृत व्यक्ति को ही होता है परमात्मा का साक्षात्कारः दीपक कृष्ण महाराज

कानपुर
निराला नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन सैकड़ों ने लोगों ने कथा का किया रसपान, वामन भगवान की झांकी ने मन मोहा समाज में जिसका तिरस्कार होता है। उसे ही परमात्मा का साक्षात्कार होता है। जीवन में शिक्षा और दीक्षा दोनों की आवश्यकता है। यह बातें निराला नगर स्थित राम मानस मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन से आए कथा व्यास पं. दीपक कृष्ण महाराज ने कही। 

कानपुर प्रेस क्लब और निशंक फाउंडेशन के सहयोग से हो रही कथा में मुख्य यजमान विवेक वाजपेयी ने पोथी पूजन कर कथा की शुरूआत की। कथा व्यास ने बताया कि पुरंजनोपाख्यान में जीव और ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन किया गया है। जिसे सुनकर राजा को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। हमें जीवन में धार्मिक होना चाहिये। परंतु उससे भी ज्यादा हमें आध्यात्मिक होना चाहिए। भरत जी महाराज ने सब कुछ छोड़ने बाद भी हिरन के बच्चे में आसक्ति हो गई। जिस कारण उनका दूसरा जन्म हिरण के बच्चे के रूप में हुआ। हमें जीवन के साथ-साथ अपने मरण को भी सुधारना चाहिए। आजमिल जैसे पापी ने भी भगवान के नाम के प्रभाव से परमगति को प्राप्त किया। प्रहलाद ने अपने पिता की आज्ञा नहीं मानी और परमात्मा का भजन करते रहे। उनके ऊपर संकट आया देखकर भगवान खंभे से नृरसिंह के रूप में प्रगट हुए और हिरणाकश्यप का उद्धार किया। समुद्र मंथन को माध्यम से हमे अपने मन का ही मंथन करना चाहिए। भगवान राजा बलि के द्वार पर वामन के रूप में पधारे और तीन पग भूमि के माध्यम से सर्वस्व हरण कर लिया। सभी भक्तों ने वामन भगवान की झांकी दर्शन किया। कथा में शिवचंद्र शुक्ला, मनोज वाजपेयी, संदीप शुक्ला, अशोक दीक्षित, समर्थ शुक्ला, अमन सरदार, अमित गुप्ता, विपिन दीक्षित, कृति शुक्ला, व्याख्या त्रिपाठी, दीपाली वाजपेयी, समृद्धि पांडेय, पूर्ति पांडेय आदि मौजूद रहे।

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