कानपुर।
भारत उत्थान न्यास के चतुर्थ स्थापना दिवस पर संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन सरस्वती ज्ञान मंदिर इंटर कालेज, आजाद नगर में किया गया। कविता सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना व डॉ अनिता निगम के स्वागत भाषण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। डॉ रोचना विश्वनोई की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस समारोह में विशिष्ट अतिथि डॉ इन्द्रमोहन रोहतगी ने बताया कि आज सम्पूर्ण विश्व भारत की संस्कृति और जीवन मूल्यों से प्रभावित होकर हमसे जुडकर आगे बढ़ना चाहता है अब यह प्रत्येक भारतीय का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह अपनी प्राचीन वैभवशाली सांस्कृतिक विरासत को और उन्नत करने का प्रयास करें। मुख्य वक्ता न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने भारतीय संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन व मूल सभ्यता बताया उन्होंने कहा कि सिन्धु घाटी की सभ्यता जिसे सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है मोहन जोदारो हड़प्पा कालीबेगा लोथल आदि इस सभ्यता के नगर होते थे। कभी पाकिस्तान अफगान हमारी ही संस्कृति के वाहक रहे हैं। समाज से व्यक्ति का संबंध अटूट है। इसलिए निस्वार्थ भाव से अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों के पुनरुत्थान हेतु कार्य करना प्रत्येक भारतीय का नैतिक कर्तव्य बनता है।अपने सामाजिक कार्यों से विशिष्ट पहचान बनाने वाले राजू पोरवाल, प्रो सुनीता आर्या, डॉ अनुज पाल, डॉ अनीता शुक्ला, डॉ ओम आनंद, कविता सिंह, डॉ शोभा खेमका, डॉ पूनम मदान, विश्व रतन त्रिपाठी, डॉ उमेश कुमार शुक्ल, प्रो बेबी रानी अग्रवाल, हिमांशु पाल, डॉ आर के अग्निहोत्री को न्यास द्वारा सम्मानित किया गया। मंच संचालन निवेदिता चतुर्वेदी व डॉ शशि अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यहां न्यास के केन्द्रीय सचिव कृष्ण कुमार जिंदल, बरेन सरकार, पूजा श्रीवास्तव, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. प्रत्यूष वत्सला द्विवेदी, शशि सिंह, उमा विश्वकर्मा, मनोज कुमार पाल, डॉ संजीव गुप्ता, धीरज सिंह, कपिल अवस्थी, आर्यन सविता, आदि उपस्थित रहे।
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