महिला अधिवक्ता को धमकी देने वाले आरोपियों तक नही पहुंच पाई पुलिस, लाचार है या लचर है व्यवस्था

कानपुर
महिला हिंसा के एक प्रकरण जिसमे आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज है। जिसमे पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए महिला अधिवक्ता पक्षकार है। मामला न्यायलय में लंबित है इसके बीच ही महिला अधिवक्ता और उनके बेटे को फोन पर मारने की धमकी दी गई। वह भी एक नही कई बार। मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला अधिवक्ता ने पुकिस से इसकी शिकायत की।जिसपर एएसपी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए जल्द कार्रवाई के लिए कहा था। लेकिन एक सप्ताह से भी ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी पुलिस आरोपियों तक नही पहुंच पाई। इस मामले में महिला अधिवक्ता अंजुला बजाज ने बताया कि अभी तक उन्हें पुलिस ने यह भी नही बताया कि जिस नंबर से धमकी वाला कॉल आया था वह किसका है। पुलिस की इस लचर व्यवस्था के पीछे क्या कारण है यह तो नही मालूम लेकिन पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में क्यों लाचार दिखाई दे रही है। जबकि फॉरेन्सिक विभाग और साइबर सेल से कुछ ही दिनों में धमकी वाले कॉल में उपयोग किये गए नंबर को ट्रेस कर सकती है। बता दें कि महिला अधिवक्ता अंजुला बजाज और उनके बेटे अक्षय बजाज को 14 जुलाई को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी। 3.11 मिनट पर पहला कॉल फोन नंबर 9340816717 पर मोबाईल नंबर 9111211861 से आया था। उसने मेरे एक केस जो आईपीसी की धारा 354 के तहत जिला न्यायालय कटनी में लंबित है उसके संबंध में वह कहने लगा कि तुम सरदार के केस को छोड़ दो नही तो अच्छा नही होगा। जब मैंने उनसे कहा कि मैं केस नही छोडूगी तो उन्होंने धमकियां देना शुरू कर दी और कहा कि यदि तुम केस नही छोड़ोगे तो तुम्हे और तुम्हारे बेटे को जान से मार देंगे। मैन उसे केस छोड़ने से मना कर दिया तो फिर से इसी नंबर से 3.18, 3.56, 4.01, 4.08, 4.10, 4.17 और रात 9 बजे कॉल आई जिसने मुझे बार-बार केस छोड़ने के लिए कहा और केस नही छोड़ने पर जान से मारने की धमकी दी गई थी। यह जानकारी कारवाँ यूथ ग्रुप के प्रदेश अध्यक्ष राघवेन्द्र बजाज ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को लगातार सूचना दिए जाने के बावजूद अपराधी का पकड़ा नहीं जाना बहुत ही दुर्भाग्य की बात है l इससे प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश में अपराधियों का सरकार पर कितना प्रभाव है। गिरफ्तारी न होने से अधिवक्ता समाज में जबरदस्त रोष है जिसका गंभीर परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा।

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